Swami Raghvendracharya Tridandi Ayurved Mahavidyalaya & Hospital
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हमारे बारे में

इस महाविधालय की स्थापना पुरुषार्थ चतुष्ट्य की सिद्धि में बाधक रोगों को दूर करने में सफल विश्व की प्राचीनतम आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रति जनमानस में बढ़ती हुई उत्कण्ठा एवं असाध्य रोगों पर होने वाले प्रभाव को देख कर किया गया है | यी एतदर्थ इसका नामकरण एवं ख्याति प्राप्त परम तपस्वी वैकुण्ठवासी महात्मा स्वामी राघवेंद्राचार्य त्रिदण्डी जी के नाम पर किया गया है | ग्रामीण क्षेत्र की गरीब एवं साधनहीन जनता को सस्ती एवं सफल चिकित्सा उनके घर के निकट उपलब्ध हो |

इसी भावना से प्रेरित होकर गया शहर के मूधर्न्य दानवीर सेठ गंगाधर डालमिया ने यहाँ के जनमानस की भावना को ध्यान में रखकर कॉलेज के संस्थापक सचिव जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी की प्रेरणा से संकल्प लिया की एक ऐसे साधन संपन्न आयुर्वेद महाविधालय की स्थापना की जाय जिसमें पठन-पाठन की पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ आधुनिक आयुर्वेद, चिकित्सालय की व्यवस्था हो जहाँ आयुर्वेद चिकित्सा के द्धारा रोगों से मुक्त होने के लिए विश्व के विभिन्न भागों से लोग आवें एवं स्वास्थ लाभ कर सकें तथा अध्ययनरत छात्रों एवं छात्राओं को सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान भी प्रदान किया जा सके |

इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस महाविधालय का प्रारम्भ 1978 में किया गया जो की बाबा साहब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविधालय , मुजफ्फरपुर से सम्ब्द्ध तथा बिहार सरकार से अनुज्ञा प्राप्त एवं भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद , नई दिल्ली से अधतन अनुमोदित है|

महाविधालय का विशाल नवीन भवन शहर के बाहर एक स्वच्छ एवं सुन्दर प्राकृतिक छटा से युक्त स्थान पर स्थित है जो करजरा रेलवे स्टेशन के सन्निकट है | इसमें बाह्य एवं अन्तरंग आतुर चिकित्सालय के साथ-साथ छात्रों के प्रत्यछ कर्माभ्यास के लिए शवच्छेदन-गृह की समुचित व्यवस्था है |छात्रों को वनौषधियों का परिचय कराने हेतु एक वनौषधि उधान की व्यवस्था है | जिसमें पाठ्यक्रमानुसार वनौषधियों का रोपण किया गया है |

बी. ए.एम.एस. ( आयुर्वेदाचार्य ) पाठ्यक्रम के अनुसार प्रत्येक विभाग में भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् के मानक के अनुसार नवीन एवं प्रच्य उपकरणों ( मॉडल-चार्ट ) से समृद्ध संग्रहालय है | शरीर क्रिया एवं रोग एवं विकृति विज्ञानं विभाग में मानक के अनुरूप सभी उपकरणों एवं रसायनो से युक्त प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं | रोग एवं विकृति विज्ञान के प्रयोगशाला में रोगियों के मल, मूत्र, रक्त , पुरिषादि के निःशुल्क परीक्षण की व्यवस्था है |

बी. ए.एम.एस. ( आयुर्वेदाचार्य ) पाठ्यक्रम के अनुसार छात्रों को एवं शिक्षकों को पठन-पाठन की सुविधा के उद्देश्य से महाविधालय का एक अपना समृद्ध पुस्तकालय है जिसमे विभिन्न विषयों पर भिन्न-भिन्न विद्धानों द्धारा रचित पुस्तकों का यथासम्भव संग्रह करने का प्रयास किया गया है |

बी. ए.एम.एस. ( आयुर्वेदाचार्य ) पाठ्यक्रम के अनुसार अध्य्यनरत छात्र-छात्राओं हेतु आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित रसायनशाला इस महाविधालय की विशिष्टता है |

महाविधालय के भवन, वनौषधि उधान एवं क्रीड़ा स्थल हेतु करजरा ग्राम निवासी श्री सूबेदार सिंह, श्री अवधेश सिंह, श्री रामश्लोक सिंह, एवं श्री रामनारायण सिंह आदि के द्धारा पर्याप्त भूमि रजिस्ट्री द्वारा संस्थान को प्राप्त है |